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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

न्यूजरीडर पति का प्रेम पत्र

न्यूजरीडर पति का लव लेटर
पिक क्रेडिट - pixabay




मेरी प्रिय मधुर वाणी,

यह टनकपुर है, इस समय दोपहर के ठीक १२ बज कर १३ मिनट ओर १४ सेकंड हुए हैं। अब तुम अपने पति से घर के समाचार सुनो, जब से तुम अपनी सहेलियों के साथ पिकनिक मनाने हिल स्टेशन गयी हो, तब से यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण है, परन्तु कभी-कभी हमारे दोनों बच्चों बबलू ओर पिंकी के दंगो कि वजह से स्थिति तनावग्रस्त हो जाती है।
तुम्हारे मैके से प्राप्त समाचारों के अनुसार पिछले सप्ताह तुम्हारे मामाजी कि टांग बाथरूम में फिसलने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी। उसकी टांग खतरे के बाहर ओर प्लास्टर के अंदर है। तुम्हारे मामाजी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि भविष्य में अब कभी बाथरूम में पैर नहीं रखेंगे। अभी-अभी विश्वस्त सूत्रों से समाचार मिला है के बबलू ओर पिंकी में दोबारा फसाद आरम्भ हो गया, बबलू ने पिंकी कि पेंसिल तोड़ दी थी ओर पिंकी ने बबलू के सारे बाल नोच लिए थे। इस कारण बेडरूम के क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। तुम्हारी कांच कि अलमारी को क्षति पहुंची है,किन्तु मैंने ठीक समय पर पहुँच कर स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है, दोनों पक्षों में समझोता कराने के प्रयास जारी है। मैंने बेडरूम के क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है। दोनों कि हरकतों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, उम्मीद है, शाम तक स्थिति शांत हो जायेगी।
ओर अब मौसम कि जानकारी- आसमान साफ है,धुप निकली हुई है, छत पर कपड़े सुख रहे हैं, किचन में दूध उबल रहा है,सब्जी जल रही है, किचन अय्स्त-व्यस्त है ओर मैं पस्त हूं। अत: तुमसे अनुरोध किया जाता है कि अपनी पिकनिक स्थागित करके शीघ्र वापस आ जाओ, इसी के साथ घर के समाचार समाप्त हुए।
नमस्कार।
तुम्हारा पति
राजशरण भारती

बनिए पति का प्रेम पत्र

बनिए पति का प्रेम पत्र
पिक क्रेडिट - pixabay



म्हारी घरवाली फुलनवती को,
म्हारा एक किलो प्यार,

आगे समाचार यो है की जब से तुं अपने भतीजे महंगाई लाल की सादी में गयी है, तब से थारी याद में म्हारा ५० मिलीलीटरखून घट गयो। थारे प्रेम में म्हारा तो घाटा ही घाटा हो रियो है, नफो तो कोई नई। थारे से सादी करके म्हारा तो दीवाला ही निकल गयो है।

सादी के बाद में थारा वजन बढ़ गया, पन म्हारी तिजोरी हल्की हो गयी, मैंने तुझे कितनी बार समझाया की असली घी मत खाया कर, पर तुने तो पूरो कनस्तर ही खाली कर दियो, अरे इतनी फीजूल खर्ची तो सरकार भी नहीं करती।

थारे मिलावटी प्यार रि कसम, जब से तुं गयी है, म्हारे को आटे-दाल का भाव मालूम पड़ गयो है। होटल में खाना कितना महंगा हो गया है की दाम पूछ कर ही म्हारी तो भूख मर जावे है। अगर थारे प्रेम के बही खाते में म्हारे नाम की पूंजी लिखी हो तो अब ओर खर्चा मत करियो, भतीजी की सदी में लेन-देन करते समय होंशियारी से काम लीज्यो। लेन तो करियो पर देन मत करियो। ओर हाँ, पिछले टाइम थारे बाप ने म्हारे से २५ रु. उधार लिए थे, वो सूद समेत वसूली कर कीज्यो, आगे क्या लिखूं, थारे बिना म्हारे मन का गोदाम खाली पड़ा है, म्हारी प्यारी शक्कर की बोरी। 
थारे इन्तजार में मक्खियाँ गिणता थारा पति ...
पूंजीमल रोकड़ा

सम्पादक पति का प्रेम पत्र

सम्पादक पति का प्रेम पत्र
पिक क्रेडिट - pixabay

मेरी प्यारी रचना,
सदा प्रकाशित रहो,

पिछले सप्ताह मैके से भेजा हुआ तुम्हारा हस्तलिखित प्रेम पत्र प्राप्त हुआ, धन्यवाद, परन्तु मुझे संदेह है की तुम्हारा ये पत्र मौलिक नहीं है, क्योंकि मैं तुम्हारी लेखन शैली से भली-भंति परिचित हूँ, यह पत्र अवश्य ही तुमने अपनी भाभी अथवा सहेली के प्रेम पत्रों से चुरा कर भेजा है। किसी की चुराई हुई सामग्री मुझे पसंद नहीं, इसलिए भविष्य में केवल मौलिक प्रेम पत्र ही भेजा करो और मौलिकता का प्रमाण-पत्र देना भी जरुरी है ।

तुम्हारे प्रेम-पत्र की भाषा बेहद रुखी और अरुचिकर लगती है, जिसे पढकर प्रेम के बजाय दंगे-फंसाद का अनुभव होता है, लिखावट भी ऐसी है, मनो कागज पर कीड़े-मकोड़े रेंग रहे हों । व्याकरण और मात्राओं पर भी तुमने ध्यान नहीं रखा है, इसलिए तुम्हारा प्रेम-पत्र पढ़ने से पहले मुझे उप-सम्पादक द्वारा 'करेक्शन' करवाना पड़ा (ये और बात है की उसके द्वारा किया हुआ 'करेक्शन' मुझे दुबारा 'करेक्ट' करना पड़ा।)

एक संपादक की पत्नी होने की नाता तुम्हे यह मालूम होना चाहिए की पत्र कागज के सिर्फ एक तरफ से लिखना चाहिए और लिखते समय कागज के एक ओर हाशिया अवश्य छोड़ देना चाहिये।

खेर, इन तमाम त्रुटियों के बावजूद तुम्हारा प्रेम-पत्र पढ़ कर मैं अपनी प्रसन्ता का स्वीकृति पत्र तुम्हे भेज रहा हूँ। आशा है, तुम इसे अस्वीकृत नहीं करोगी। मैं इस पत्र के साथ अपना पता लिखा लिफाफा सलंग्न कर रहा हूं। तुम अपनी वापसी के सम्बध में अपने निर्णय से मुझे शीघ्र सूचित करना। तुम्हारे अगले प्रेम-पत्र की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा मौलिक पति
पूर्ण विराम सिंह

पुलिस इंस्पेक्टर पति का प्रेम पत्र

पुलिस इंस्पेक्टर पति का प्रेम पत्र
इमेज क्रेडिट - pixabay

डी.एस.पी.(डब्बू,श्या मू और पप्पू) की माँ,
सदा खबरदार रहो,

तुम्हे घर से मैके 'फरार' हुए पूरे तीन हफ्ते हो चुके हैं। मैंने तुम्हे सिर्फ दो हफ्ते रहने की मोहलत दी थी, मगर मियाद पूरी होने के बावजूद तुम वापस नहीं लौटी, इसलिए मैं तुम्हे इस खत के रूप में वारंट भेज रहा हूँ, मैं तुम्हे आख़री वार्निंग देता हूँ, अगर खत मिलने के दो दिन के अंदर डी.एस.पी. सहित तुमने अपने आपको मेरे हवाले नहीं किया तो मैं ससुराल में छापा मारने पहुँच जाऊँगा।

तुम नहीं जानती की तुम्हारे बिना ये घर सुनी हवालात सा लगता है, तुम्हारी शक्की नजरों की कसम, बगैर तुम्हारे न मेरा दिल (रम) पीने को करता है ना (रिशवत) खाने को। तुम्हारे गम में मैं गुंडों को पिटता रहता हूँ। दिन भर तुम्हारी याद में खोया रहता हूँ, रात को ड्यूटी पर सोया रहता हूँ, इसलिए आजकल मेरे इलाके में चोरियां, डकेतीयां, लुटमारीयां बढ़ यी है। चोर उचक्कों की मौज आ गयी है। वो हरामखोर साले (तुम्हारे भाई नहीं) मुझ से पूछे बिना बेचारी जनता को लुट रहे हैं। ये मैं हरगिज बर्दास्त नहीं कर सकता, इसलिए अब तुम्हारी खेरियत इसी में है की तुम फौरन अपने मैके का इलाका छोड़ दो वरना ......
तुम्हारा रौबदार पति 
गर्जनसिंह (धमकीपुर)

पनवाड़ी पति का प्रेम पत्र

पनवाड़ी पति का प्रेम पत्र
पिक क्रेडिट - pixabay


हमरी पियारी राम दुलारी,
सदा मुस्कियात रहो,

जब से तुम रिसियाय के अपने मंगरू भईया के इहाँ गयी हो, तब से हमरी जिंदगी है, अइसी हो गयी है, जइसे बिना सुपारी का पान। सच कहत है राम दुलारी, तुमरे लाल-लाल होठन की मुस्कान देखे बिना हमार मन सुरती खाने को भी नहीं करत है।

कसम कलकता पान की, तुमरे संग हमार मन अइसे घुल मिल गया है, जइसे चुन्ना कथे के साथ मिल जाता है, हम मानत है की हम तुमको सनीमा देखाने नाहीं लई गए, पर हम का करे, दिन भर पान की दुकान पर बइठ के चुन्ना लगाए-लगाए के हमरी मती भी सुन्न हो गयी है। अब हम तुमसे हाथ-गोड जोड़ के चिरुरी करत है की तुम गुस्सा पीक दो औउर फौउरन लोउट आओ। नही तो हम तुमरी याद में मघई पान की तरह घुलते-घुलते खत्म हुई जायेंगे। अरे तुम तो हमरे लिए केसर, इलाइची से भी जादा खुशबूदार और गुलकंद से भी जादा मीठी हो। भला हम तुमसे दूर कइसे रह सकत है। हम दिल है तुम जान हो, हम जर्दा है तुम पान हो, बस अब अपने जर्दा की खातिर आ जाओ तुम्हरे लिए हम बनारसी बीड़ा लगाए के बीइठे हैं।
फ़क्त तुम्हरा
सुरती लाल पनवाड़ी