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पिक क्रेडिट - pixabay |
फ़िल्मी गरीबी का ईमानदारी से गहरा रिश्ता होता है। जैसे दुनियाभर की ईमानदारी का ठेका उसके ही पास हो। एक गरीब फ़िल्मी माँ है। उसका एक गरीब बेटा है। बेटा स्मगलिंग करके चार पैसा कमाने लगता है। ज्यों ही माँ को मालूम पड़ता है, तो बुढिया ऐसे बिफरती है की पूछो ही मत, 'जा अपने आपको कानून के हवाले कर दे।' अरे! पुलिस कौनसी दूध की धूली है। बेचारा बेरोजगार था। एक धंधा सामने दिख गया, सो करने लगा। जमाने के साथ चल रहा है। धंधा बुरा है, तो ज्यादा से ज्यादा लडके को समझा दे कि बेटा, आइन्दा से यह काम मत करना, लेकिन नहीं, कहेगी, "मैं इस पैसे को हाथ भी नहीं लगाउंगी। मैं तुम्हारा घर छोड़ दूंगी।"
फिर वह किसी स्मगलर के घर बर्तन साफ कर लेगी, लेकिन स्मगलर बेटे का दिया नहीं खाएगी।
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