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बुधसिंह नाम के एक निपट गंवार और कतई अनपढ़ सज्जन एक सुरक्षित सीट पर चुनाव में खड़े हो गये। एक बार उनको उनके हिमायतियों की तरफ से कहा गया कि वे स्टेज पर भाषण दें।
"मैंने कभी भाषण नहीं दिया।" - बुधसिंह जी घबराकर बोले - "मैं भाषण में क्या कहूँगा?"
"अरे कुछ भी कह देना।" - उन्हें राय दी गई - "एक बार बोलना शुरू करोगे तो देख लेना अपने आप बात में से बात निकलती जाएगी।"
बुधसिंह जी को ये बात जँच गई। वे भाषण देने के लिए स्टेज पर पहुंचे। उन्होंने जो भाषण दिया वह इस प्रकार था --
"भाइयों और बहनों, आप सबको मालूम ही है कि पंडित जवाहर लाल नेहरु हिंदुस्तान के बहुत बड़े नेता हुए हैं। उन्हें गुलाब का फूल बहुत पसंद था। गुलाब से गुलकंद बनती है। गुलकंद खांसी ठीक करती है। खांसी भाइयों और बहनों, हर बीमारी की जड़ होती है। जड़ खरबूजे की लम्बी होती है। खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। रंग जर्मनी के मशहूर होते हैं। जर्मनी ने कई वार लड़ी थी। वार कई तरह के होते हैं। जैसे सोमवार, मंगलवार, बुधवार और भाइयों और बहनों, मेरा नाम बुधसिंह है, इसलिए आप अपना वोट मुझे ही दें। धन्यवाद!"
===*===*=== अंतर्जाल से साभार ===*===*===
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