गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

एक भारतीय की महबूबा

एक भारतीय की महबूबा
पिक क्रेडिट - pixabay
ओ मेरी महबूबा तुम्हारे नापाक इरादों
जमाखोर वायदों बेईमान निगाहों
और तस्करी अदाओं ने मेरा बजट बिगड़ दिया 
मेरा घर उजाड़ दिया।

खूबसूरती का ठेका लेकर
हजारों दिलों का कर लिया गबन 
प्यार का पुल 
कमजोर बुनियादों पर खड़ा करके
हँस रही हो जानेमन।

दुकान के आगे बढाये गये शौकेस- सा
अपना घुंघट हटा लो अवैध कब्जा करने की प्रवृति सी
अपनी अंगड़ाई सम्भालो।

भाव तुम बढ़ाती रही, नखरीली शान से 
मुनाफा कमाती रही इस गरीब इंसान से,
बैठा हूँ लुटा हुआ 
तुम्हारी मिलावटी मुस्कान से।

अपने उपभोक्ता को मरने से बचा लो,
आज तो होटों पर रेट लिस्ट लगा लो।

===*===*===अंतर्जाल से साभार===*===*===

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