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कुता बहुत स्वाभिमानी था, प्रात: कुता और कुतिया में अनबन हो गई थी। और तब से ही कुते ने जो रोना शुरू किया था, तो अब तक चुप नहीं हुआ था। सारे नगर के कुते उसे चुप कराते-कराते थक कर स्वयं चुप हो गये थे, परन्तु वह रोए जा रहा था।
अब नगर के एक वृद्ध कुते की प्रतीक्षा थी।कुछ देर प्रतीक्षा के पश्चात वृद्ध कुता आया,
रोते हुए कुते से बड़े ही प्रेम भरे लहजे से पूछा।
"क्यों भाई क्यों रो रहे हो?"
"उफ़! तुम फिर रोने लगे, आखिर तुम्हारी पत्नी ने ऐसा क्या कह दिया कि तुम रो-रोकर आसमान सर पर उठाए हुए हो।"
"श्रीमान ! उसने मुझे ऐसी गली दी है जो बर्दाश्त नहीं की जा सकती ...म ... म ... मुझे गहरा सदमा पहुँचा है ।"
"अरे बाबा! उसने ऐसा क्या कह दिया था ?""जी उसने मुझे इन्सान कह दिया था।"
===*===*===अंतर्जाल से साभार ===*===*===
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